कितना अच्छा होता न तब कितना अच्छा होता न तब
कितना अच्छा होता तुम भी अगर ,मेरी तरह मुझसे प्यार करती, कितना अच्छा होता तुम भी अगर ,मेरी तरह मुझसे प्यार करती,
काश! समंदर पर दरिया को ऐतबार न होता। काश! साहिलों को कश्ती का इंतज़ार न होता।। काश! समंदर पर दरिया को ऐतबार न होता। काश! साहिलों को कश्ती का इंतज़ार न होता।।
ना गुजरता तेरी गलियों से तो अच्छा होता ना जाता उस चौबारे पर तो अच्छा होता। ना गुजरता तेरी गलियों से तो अच्छा होता ना जाता उस चौबारे पर तो अच्छा होता।
क्षितिज के तट पर जाकर हमको भूल जाता है क्षितिज को तकते-तकते हमको रोना आता है!! क्षितिज के तट पर जाकर हमको भूल जाता है क्षितिज को तकते-तकते हमको रोना आता है!!
तुम्हारी अनुकृति सी लहरा रही है हवा में, तुम्हारी अनुकृति सी लहरा रही है हवा में,